MADHUSHALA

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Saturday, 30 July 2011

जो तुम आ जाते एक बार : महादेवी वर्मा

                                           जो तुम आ जाते एक बार

कितनी करुणा कितने संदेश, पथ में बिछ जाते बन पराग
गाता प्राणों का तार तार, अनुराग भरा उन्माद राग
आँसू लेते वे पथ पखार, जो तुम आ जाते एक बार
हँस उठते पल में आर्द्र नयन, धुल जाता होठों से विषाद
छा जाता जीवन में बसंत, लुट जाता चिर-संचित विराग
आँखें देतीं सर्वस्व वार, जो तुम आ जाते एक बार

 

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